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पढ़ने का सही तरीका है क्या? इसी बात को ध्यान में रखकर ये लिखने का ख्याल आया कि इस बारे में लिखा जाना चाहिए कि पढ़ा कैसे जाए..
पढ़ने का सही तरीका क्या होना चाहिए।
बच्चों को जोर जोर से पढ़ना चाहिए। इससे उनमें बर्ड को समझने की आदत अच्छी होती है। तथा वर्ड को सही ढंग से प्रोनंसियेशन आता है।
जब वे जोर जोर से पढ़ रहे होते हैं तो उनमें उनमें बोलने का कॉन्फीडेन्स आता है। उन्हें विश्वास होने लगता है। कि वे सही बोल तथा पढ़ रहे हैं।
जोर जोर से पढ़ने का मतलब ये नहीं हैं कि बहुत ही चिल्ला चिल्लाकर पढ़ा जाए। यहाँ जोर से पढ़ने का अर्थ है कि एक ऐसी मध्यम आवाज जो न ज्यादा धीमी हो और न ही बहुत ज्यादा तेज।
इसका अर्थ है कि एक ऐसी टोन (आवाज का भार) जिससे बोलने का कॉन्फीडेंस आए। ऐसा कॉन्फीडेंस जिससे खुद को ऐसा महसूस हो कि सामने वाला हमारे वर्ड्स का अच्छी प्रकार से सुन तथा समझ पा रहा है।
आपकी आवाज़ का भार ऐसा नहीं होना चाहिए कि सिर्फ खुद को ही सुनाई दे और दूसरा व्यक्ति सुन ही नहीं पाए, और न ही समझ पाए।
हैण्डराइटिंग कैसी होनी चाहिए? हैण्डराइटिंग भी अपने आप में एक विषय है। क्योंकि कुछ लोग ऐसा लिखते हैं कि देखते ही तबियत खुश हो जाती है। बहुत ही सुन्दर राइटिंग में लिखते हैं। उनकी राइटिंग देखते ही मन लालायित होने लगता है। कि काश! ये डाॅक्यूमेंट मेरे पास ही रह जाए। या फिर यह कि वह मेरे लिए भी लिख दे। मेरी भी राइटिंग ऐसी ही हो जाए। मैं ऐसी राइटिंग लिखना सीख जाऊँ।
दूसरा विचार ऐसे भी आता है कि यार मेरी राइटिंग ऐसी नहीं है। मेरी राइटिंग बुरी है। बुरी ही नहीं बहुत बुरी है। मेरी राइटिंग अच्छी होनी चाहिए। अपने आप से मन हमें कुछ कहने लगता है।
दूसरों को दिखाने के लिए ऐसा भी सोचने लगता है कि मैं कहीं दूसरों के सामने ज्यादा छोटा न हो जाऊँ। इसके लिए हम अपने आप को दूसरों के सामने एक्प्रेस करने लगते हैं और कहते हैं कि इतनी भी बुरी नहीं है। सही है मेरी राइटिंग। बट वे मन ही मन सोचते है। मुझे अपनी राइटिंग पर काम करना चाहिए। अपनी राइटिंग में इम्प्रूवमेंट लाना चाहिए। दूसरों के सामने अपने आप को गलत या छोटा होने से बचा लिया। लेकिन मन इवेल्यूएशन करता है। कि राइटिंग में इम्पू्रवमेंट होना चाहिए।
अब बारी आती है राइटिंग पर काम करने की। इसके लिए हम कैसे सुधार कर सकते हैं। सबसे पहला नियम तो यह है कि हम थोड़ा स्लो लिखें। हर अक्षर की बनावट को समझे। समझें के हमारा कौन सा अक्षर कैसा बनता है और हम इसे कैसा बनाना चाहते हैं। इस बनावट और प्रक्रिया को अच्छे से समझ लें। फिर उस पर कार्य करें। जब अपने बनाऐ अक्षर की बनावट तथा जैसा हम चाहते हैं वैसे अक्षर की बनावट को मन मस्तिष्क मे छप जाने दें। इसे दिल में उतरने दें। फिर कागज लेकर उस पर प्रेक्टिस करें।
इसके उपरान्त जब भी आप लिखेंगे तो वह अक्षर पुनः आपकी आँखों के सामने आ जाऐगा और उस अक्षर पर की गई प्रेक्टिस के अनुसार वह अपनेआप बनने लगेगा। इस प्रकार धीरे-धीरे आपकी इन अक्षरों पर आपकी पकड़ मजबूत हो जाऐगी और आपकी हैण्डराइटिंग में जबरदस्त इम्पू्रवमेंट जा जाएगा।
आपका काॅन्फीडेंस लेबल बढ़ जाएगा। जीने में आनन्द आने लगेगा। दूसरों के समक्ष बड़ा नहीं तो कम से कम बराबरी का दर्जा अपने आप में फील होगा। लाइफ में उत्साह होगा।
इस प्रकार आपके लेखन की भी क्षमता में भी इम्पू्रवमेंट आ जाऐगा। आपके अपने लिखे गए सुन्दर नोट्स आपको आसानी से समझ आऐंगे। जो कि जल्दबाजी में लिखे गऐ तथा गलत ढग से बने अक्षरों की बजह से कभी कभी खुद भी नहीं समझ पाते थे।
टाइपिंग को ही हिंदी में टंकण कहते हैं। आधुनिक युग में टंकण का विशेष महत्व है। आधुनिक युग के अधिकतर उपकरणों पर कुछ कीज़ लगी होती हैं। जिनके द्वारा हमें इन मशीनी उपकरणों (आधुनिक युग की मशीनो) को आॅपरेट करना होता है। यानि चलाना होता है। जैसे- मोबाईल फोन, कैलकुलेटर, फोटो काॅपीयर आदि।
टाइपिंग एक वह तथ्य है जिसके बिना आज के युग में कम्प्यूटरों पर काम करने में दिक्कत महसूस की जाती है, अथवा कह सकते हैं कि इसके अभाव में कम्प्यूटरों पर काम करने की कल्पना नहीं कर सकते। कम्प्यूटरों पर काम करने के लिए उसके की-बोर्ड से परिचित होना अति आवश्यक है। अपने डाॅक्यूमेंटस(दस्तावेज) तैयार करने (बनाने) के लिए टाइपिंग की आवश्यकता पड़ती ही है। कुछ जरूरी काम तो हमें स्वयं ही करने होते हैं अर्थात टाइपिंग एक अति आवश्यक टूल (यंत्र) बन गया है। इसका सीखना इतना दुश्कर (कठिन) भी नहीं है जितना लगता है। की-बोर्ड परिचय के उपरान्त यह सिर्फ अभ्यास आधारित है। जितना अभ्यास किया जाता है उतनी ही इसमें महारत आती जाती है। सब कर सकते है, बस प्रयत्न की आवश्यकता है। अर्थात् मन बनाइये और जुट जाइए इस प्रयास में महारत न सही। इसका पर्याप्त ज्ञान ही आपके कार्यों को संपादित करने में चार चांँद लगा देगा। और आप बड़े ही सुकून के साथ अपने कार्य स्वयं कर सकते है।
It is abook written by me. My own thoughts are in this. I created my rules to make it interesting. Following the rules you can learn with fun.
In this book You will get- Typing Introduction, Learning Rules and Typing Practices. in Last important Question Answers.
मेरा नया प्रण-
मैं रोज डायरी लिखूंगा।
सोने से पहले दिनभर के कामों का विश्लेषण करूंगा।
अगले दिन होने वालों कामों को सूचीबद्ध करूंगा।
दिन भर के कामों में जो अनुभव मिला हैं उसे उस पर एक बार फिर से दृष्टिपात करूंगा।